कल्पना आनंद बिष्ट | बाहरी दिल्ली, दैनिक जागरण, 26 जनवरी 2010 |

वर्ष 2007 में दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस में कईं पेड़ो की छाल निकालकर उनमें नंबरिंग की गयी | इसमें पेड़ो को नुकसान पहुँचने के साथ ही उनकी जीवनलीला ही समाप्प्त हो गयी | दिल्ली विश्वविद्यालय के ही पर्यावरण विज्ञान के छात्र गोविन्द ने जब यह देखा तो उन्हें बहुत बुरा लगा |

बस तभी से उन्होंने शुरुआत की पेड़ बचाओ व दिल्ली ग्रीन्स मूवमेंट की | गोविन्द के समर्थन में दिल्ली विश्वविद्यालय, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र एक जुट हुए और कैंपस व राजधानी को हराभरा रखने का संकल्प लिया |

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